The best Side of piles treatment in bangalore

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प्रतिदिन फाइबर युक्त आहार लें जैसे साबुत अनाज, हरी सब्जियाँ और फल।

इसमें भी असहनीय पीड़ा होती है, और रोगी दर्द से छटपटाने लगता है। मलत्याग करते समय, और उसके बाद भी रोगी को दर्द बना रहता है। वह स्वस्थ तरह से चल-फिर नहीं पाता, और बैठने में भी तकलीफ महसूस करता है। इलाज कराने से यह समस्या ठीक हो जाती है। 

गुदा में खुजली और जलन महसूस हो सकती है।

और पढ़ें – पाइल्स के दर्द में गोभी के फायदे

खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।

मस्सों को साफ piles treatment in noida और सूखा रखें, हर मल त्याग के बाद अच्छे से गुदा की सफाई करें।

आयुर्वेद में बवासीर को ‘अर्श’ कहा गया है। यह वात, पित्त एवं कफ तीनों दोषों के दूषित होने से होता है। इसलिए इसे त्रिदोषज रोग कहा गया है। जिस बवासीर में वात या कफ की प्रधानता होती है, वे अर्श शुष्क होते हैं। इसलिए मांसांकुरों में से स्राव नहीं होता है। जिस अर्श में रक्त या पित्त या रक्तपित्त की प्रधानता होती है, वे आर्द्र अर्श होते है। इसमें रक्तस्राव होता है। शुष्क अर्श में पीड़ा अधिक होती है।

क्रीम, ऑइंटमेंट और सपोसिटरी का उपयोग करें।

शौच करते समय जोर लगाना : मल त्याग के दौरान अत्यधिक दबाव डालने से मलाशय क्षेत्र में नसों में सूजन हो सकती है, जिससे बवासीर होता है।

कभी भी खुद से दवा न लें, विशेषज्ञ की सलाह लेते रहें।

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फाइबर युक्त आहार जैसे फल (सेब, नाशपाती), सब्जियां (पालक, ब्रोकली), साबुत अनाज, दालें

एलोवेरा का अज्वलनशील गुण बवासीर की सूजन को शांत करने में मदद करता है। एलोवेरा की सहायता से आप पाइल्स का घर में इलाज कर सकते हैं। इसके अज्वलनशील गुण के कारण ही इसका उपयोग हेमोरोइड के कई लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है।

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